Shrikhand Mahadev Trek भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण और रोमांचक धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है। यह हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत पर्वतों के बीच स्थित है और श्रद्धालुओं व एडवेंचर प्रेमियों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस यात्रा के दौरान आपको 5227 मीटर (17150 फीट) की ऊंचाई तक पहुंचना होता है, जहां आपको भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। इस यात्रा का कठिन मार्ग और हिमालय की खूबसूरती इसे अद्वितीय बनाते हैं।
यात्रा की विशेषता
श्रीखंड महादेव यात्रा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले से शुरू होती है। मुख्यत: यात्रा का प्रारंभ जौन गाँव से होता है, जो नीरमंड तहसील में स्थित है। यात्रा के दौरान श्रद्धालु विभिन्न प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों का दर्शन करते हैं, जैसे कि सिंहगढ़, बराटी नाला, थाचडू, काली घाटी, भीम द्वार, और अंत में श्रीखंड महादेव शिखर। इस यात्रा में कई चुनौतीपूर्ण ग्लेशियरों और खड़ी पहाड़ियों को पार करना होता है, जिससे यह यात्रा साहसी और अनुभवी ट्रेकर्स के लिए ही उपयुक्त मानी जाती है।
ट्रेक की कठिनाई और तैयारी
यह यात्रा Difficult Trek श्रेणी में आती है, जिसमें 32 किलोमीटर लंबा ट्रेक पूरा करना होता है। रास्ते में आपको कठिन चढ़ाई, पत्थरों से भरे रास्ते और ठंडे ग्लेशियरों को पार करना पड़ता है। यदि आपको high altitude trekking का अनुभव नहीं है, तो इस यात्रा से पहले आपको अपनी शारीरिक और मानसिक तैयारी करनी चाहिए। ऑक्सीजन की कमी और मौसम की अप्रत्याशितता इस यात्रा को और भी चुनौतीपूर्ण बना देती हैं।
श्रीखंड महादेव यात्रा मार्ग
- जौन से सिंहगढ़: यह यात्रा का पहला चरण होता है, जहां से आपका असली ट्रेक शुरू होता है। सिंहगढ़ में मेडिकल चेकअप और पंजीकरण होता है।
- सिंहगढ़ से थाचडू: इस हिस्से में आपको बराटी नाला जैसे स्थानों से गुजरना होता है। बराटी नाला एक प्रमुख पड़ाव है जहां पर अधिकांश यात्री आराम करते हैं। इस स्थान पर रात्रि विश्राम के लिए कैम्पिंग की सुविधा मिलती है।
- थाचडू से भीम द्वार: इस हिस्से में आपको काली घाटी, भीम तालाई जैसी चुनौतीपूर्ण जगहों से गुजरना पड़ता है। काली घाटी विशेष रूप से कठिन मानी जाती है, जहां से गुजरना साहस और दृढ़ता की मांग करता है।
- भीम द्वार से श्रीखंड महादेव शिखर: यात्रा का यह सबसे कठिन हिस्सा होता है। यहां से आपको लगभग 4 बजे सुबह ट्रेक शुरू करना होता है ताकि आप समय रहते श्रीखंड शिखर तक पहुंच सकें। इस रास्ते में आप पार्वती बाग, नैन सरोवर, और भीम शिला जैसी पवित्र जगहों का दर्शन करते हैं।
- शिखर से वापसी: एक बार जब आप शिखर पर भगवान शिव के दर्शन कर लेते हैं, तो आप वापस पार्वती बाग में रात्रि विश्राम के लिए आते हैं। अगले दिन यात्रा धीरे-धीरे वापस नीचे के बेस कैंप की ओर आती है।
कर्तिकेय पर्वत और इससे जुड़ी मान्यताएँ
श्रीखंड महादेव के शिखर से कर्तिकेय पर्वत का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जिसे भगवान शिव के पुत्र भगवान कर्तिकेय को समर्पित किया गया है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, कोई भी अब तक इस पर्वत की चोटी तक नहीं पहुंच पाया है। कहा जाता है कि अगर कोई इस चोटी तक पहुंचता है, तो भगवान कर्तिकेय उसके सामने प्रकट होकर उसकी एक इच्छा पूरी करेंगे। यह पर्वत इस यात्रा को और भी रहस्यमयी और रोमांचक बनाता है।
यात्रा के दौरान सावधानियाँ
- मेडिकल फिटनेस: श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान मेडिकल चेकअप अनिवार्य होता है। अगर आपको किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या होती है, तो यह यात्रा आपके लिए जोखिम भरी हो सकती है। खासकर high altitude sickness से बचने के लिए आपको सावधानी बरतनी चाहिए।
- फिटनेस ट्रेनिंग: इस यात्रा के लिए अच्छी शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता होती है। अगर आप नियमित ट्रेकिंग नहीं करते हैं, तो यात्रा से पहले fitness training करना अनिवार्य है। लंबी दूरी की पैदल यात्रा के लिए अपने शरीर को तैयार करें।
- पर्यावरण का ध्यान रखें: यह यात्रा हिमालय के सुंदर और स्वच्छ पर्यावरण से होकर गुजरती है, इसलिए यात्रा के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखें। कचरा न फैलाएं और यात्रा के दौरान eco-friendly उत्पादों का इस्तेमाल करें।
- पर्याप्त खाने-पीने का इंतजाम: यात्रा के दौरान पर्याप्त energy foods और पानी साथ रखें। बर्फीले क्षेत्रों में डिहाइड्रेशन होने की संभावना अधिक होती है, इसलिए पानी साथ रखना बेहद जरूरी है।
यात्रा की योजना
यह यात्रा हर साल जुलाई और अगस्त के महीने में आयोजित होती है। हिमाचल प्रदेश के पर्यटन विभाग और वन विभाग की अनुमति के बाद ही यात्री इस यात्रा पर जा सकते हैं। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को विभिन्न स्थानों पर लंगर और कैम्पिंग की सुविधा भी प्रदान की जाती है, जो इस यात्रा को सरल और सुरक्षित बनाते हैं। 2024 में, यह यात्रा 14 जुलाई से 27 जुलाई तक चली।