हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला, अपने सुरम्य पहाड़ियों और अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। हालाँकि, यहाँ आने वाले पर्यटकों और निवासियों के लिए ट्रैफिक जाम की समस्या एक बड़ी चुनौती है। इसे कम करने के लिए राज्य सरकार एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, जो न केवल शिमला को बल्कि पूरे भारत को विश्व में एक नई पहचान दिलाएगा। राज्य सरकार ने शिमला में विश्व का दूसरा सबसे लंबा रोपवे बनाने की योजना बनाई है, जो 13.79 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें 15 स्टेशन होंगे। यह परियोजना शिमला को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी और यातायात की समस्याओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
शिमला रोपवे परियोजना की विशेषताएं
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य शिमला में यातायात के बढ़ते दबाव को कम करना है। इसके लिए 1734.40 करोड़ रुपये की लागत से यह रोपवे बनाया जाएगा। यह परियोजना न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) और राज्य सरकार की संयुक्त वित्तीय सहायता से पूरी की जाएगी। एनडीबी द्वारा 80% लोन प्रदान किया जाएगा, जबकि शेष 20% राशि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा दी जाएगी।
यह रोपवे न केवल लंबाई में, बल्कि सुविधाओं के मामले में भी अद्वितीय होगा। इसमें 15 स्टेशन होंगे, जो शिमला के विभिन्न प्रमुख स्थानों को जोड़ेंगे। इस रोपवे के माध्यम से तारा देवी से शिमला तक का सफर बेहद आसान और तेज हो जाएगा। यह न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बनेगा।
यूरोपियन देशों की तर्ज पर रोपवे का विकास
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने इस परियोजना को लेकर एक संगोष्ठी में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि शिमला को रोपवे के क्षेत्र में स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे देशों की तरह विकसित किया जाएगा। इन देशों में 25 हजार के करीब रोपवे हैं, जबकि भारत में केवल 20 रोपवे ही संचालित हो रहे हैं। यह परियोजना शिमला को इस क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाएगी।
डिप्टी सीएम ने बताया कि शिमला ने अपने सड़क परिवहन के सारे संसाधनों का पूरी तरह उपयोग कर लिया है, और अब रोपवे ही एकमात्र विकल्प बचा है। इस रोपवे के निर्माण से न केवल यातायात की समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि शिमला की पहचान में भी एक नया आयाम जुड़ेगा।
रोपवे का रूट और स्टेशन
इस रोपवे का रूट तारा देवी से शिमला तक होगा, जो 13.79 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगा। इस रूट पर 15 स्टेशन होंगे, जिनमें तारा देवी, चक्कर, कोर्ट परिसर, टूटीकंडी पार्किंग, न्यू आईएसबीटी, 103 टनल, रेलवे स्टेशन, विक्ट्री टनल, ओल्ड बस स्टैंड, लक्कड़ बाजार, आईजीएमसी, संजौली, नवबहार, सचिवालय और लिफ्ट के पास बोर्डिंग स्टेशन शामिल हैं।
प्रारंभ में इस रूट पर 220 ट्रॉलियाँ होंगी, जिन्हें बाद में बढ़ाकर 660 तक किया जाएगा। ये ट्रॉलियाँ यात्रियों को बिना किसी बाधा के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में सक्षम होंगी। इससे शिमला में ट्रैफिक जाम की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी।
परियोजना की प्रगति और समयसीमा
डिप्टी सीएम ने बताया कि इस परियोजना का काम अगले साल 1 मार्च से शुरू करने का लक्ष्य है। इसके लिए सभी आवश्यक दस्तावेज संबंधित पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं। एनडीबी ने इस परियोजना के लिए फैक्ट फाइंडिंग मिशन के तहत 2 जून से 10 जून तक निरीक्षण किया था। एनडीबी ने इस परियोजना के कॉन्सेप्ट नोट को 12 जुलाई को मंजूरी दी है।
इसके बाद, दिसंबर में एनडीबी की निदेशक मंडल की बैठक में इस परियोजना को मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। त्रिपक्षीय समझौते के बाद टेंडर अवार्ड किया जाएगा और 1 मार्च 2025 से इस परियोजना का काम शुरू हो जाएगा।
शिमला की पहचान में एक नया आयाम
इस रोपवे के निर्माण से शिमला की पहचान में एक और लैंडमार्क जुड़ेगा। यह न केवल शिमला की ट्रैफिक समस्याओं को हल करेगा, बल्कि इसे एक नई ऊँचाई पर ले जाएगा। इस रोपवे की लंबाई और सुविधाओं के चलते यह न केवल भारत में बल्कि एशिया में भी एक अद्वितीय परियोजना के रूप में उभरेगा।
एक घंटे में 2000 लोग करेंगे सफर
रोपवे मार्ग में एक तरफ से एक हजार लोगों की आवाजाही की क्षमता होगी, जिससे दोनों ओर से कुल 2000 लोग एक घंटे में सफर कर सकेंगे। दुनिया में सबसे लंबा रोपवे बोलीविया में है, जिसकी लंबाई 32 किलोमीटर है। शिमला का 13.79 किलोमीटर लंबा रोपवे तारा देवी से शिमला तक 60 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करेगा।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
इस रोपवे के निर्माण से न केवल स्थानीय निवासियों को फायदा होगा, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण होगा। शिमला में आने वाले पर्यटक इस रोपवे के माध्यम से शहर का अद्वितीय दृश्य देख सकेंगे। यह न केवल यात्रा को आसान बनाएगा बल्कि इसे और भी रोमांचक बनाएगा।
पर्यावरण पर प्रभाव
इस परियोजना के तहत रोपवे के निर्माण से शिमला के पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह परियोजना वाहनों की संख्या को कम करेगी, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी। इसके साथ ही, यह परियोजना शिमला के पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार निर्माण
इस परियोजना का निर्माण अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। इस रोपवे का डिजाइन और निर्माण दोनों ही विश्व स्तरीय होंगे, जिससे यह परियोजना न केवल शिमला के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का कारण बनेगी।
शिमला में बनने वाला यह रोपवे न केवल शहर के यातायात की समस्याओं को कम करेगा, बल्कि इसे एक नई पहचान भी देगा। यह परियोजना न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इसके निर्माण से शिमला का पर्यटन उद्योग और भी फल-फूल सकेगा और यह शहर की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाएगा।
यह परियोजना शिमला को विश्व के नक्शे पर एक नई ऊँचाई पर ले जाएगी और इसे रोपवे के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी। इसके माध्यम से शिमला न केवल भारत में बल्कि विश्व में भी अपनी एक अलग पहचान बना सकेगा।