कसौली हिमाचल की खूबसूरती को बयां करता एक खूबसूरत हिल स्टेशन-: ललित शर्मा :-

हिमाचल की खूबसूरती को बया करती कसौली सोलन जिले का एक बहुत ही नायाब हिल स्टेशन है, जिसे देखने की ख्वाहिश लगभग हर पर्यटक की होती है। शिमला से तकरीबन 80 किमी. की दूरी पर स्थित कसौली भारत के सबसे साफ शहरों में से एक है। इसे हिमाचल का छोटा शिमला भी कहा जाता है। कसौली का जिक्र रामायण काल में भी किया गया है ! कसौली, चंडीगढ़ से शिमला के रस्ते पर स्थित एक पहाड़ी छावनी शहर है, जो भीड़-भाड़ वाली दुनिया से दूर एक शांतिपूर्ण छुट्टी का स्थान है। कसौली हिमाचल राज्य के दक्षिण-पश्चिम भाग में एक छोटा सा शहर है, जो हिमालय के अपेक्षाकृत निचले किनारों स्थित है। देवदार के सुंदर जंगलों के बीच स्थित कसौली ब्रिटिशों द्वारा निर्मित भव्य विक्टोरियन इमारतों के लिए जाना जाता है, जिसका रहस्यमय और निर्मल वातावरण हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

भव्य विक्टोरियन संरचनाएँ इस हिल स्टेशन के गौरवशाली अतीत के बारे में बताती हैं। बता दें कि इस क्षेत्र के घने जंगलों में कई तरह की लुप्तप्राय प्रजातियाँ भी पाई जाती है। भले ही कसौली विशेष आकर्षण या गतिविधियों में आगे नहीं है, लेकिन यहाँ का शांत वातावरण और आकर्षक शांति हर किसी को अपनी ओर खींचती है।

अगर आप घूमने के लिए कोई शांति वाली जगह तलाश रहे हैं और भीड़-भाड़ भरी दुनिया से दूर जाना चाहते हैं, तो कसौली से अच्छी जगह आपके लिए और कोई नहीं हो सकती। यह प्राकृतिक जगह आपके मन को शांति और एक आदर्श वातावरण प्रदान करेगी।

बता दें कि कसौली का इतिहास 17 वीं शताब्दी के समय का है जब हरियाणा में रेवाड़ी के कुछ राजपूत परिवारों ने प्रचलित राजनीतिक परिस्थितियों के चलते ‘कसूल’ (क्षेत्र में मीठे पानी के झरने के नाम पर) क्षेत्र में जाने का फैसला किया। लेकिन जब अंग्रेजों ने इस जगह की प्राकृतिक खूबसूरती, गौरव और वातावरण को देखा तो उन्होंने इसे स्थानीय राणा से इसे खरीद लिया और चौकी दलों में बदल दिया। जब अंग्रेजो को इस जगह की सुंदरता का एहसास हुआ तो उन्होंने इसके चारों ओर हिल स्टेशन विकसित किया। देश के स्वतंत्र होने के बाद यह शहर हिमाचल प्रदेश राज्य में आता है, जो कि आज एक बहुत ही सुंदर पर्यटक स्थल है। कसौली आज भी अपनी प्राचीन सुंदरता और प्राकृतिक आकर्षणों के लिए जाना-जाता है।

ब्रुअरी

कसौली ब्रूअरी भारतीय निर्मित विदेशी शराब और पेय पदार्थों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है जिसको 1820 के दशक में स्थापित किया गया था। शराब की भठ्ठी एडवर्ड डायर द्वारा स्थापित की गई थी, जब इस क्षेत्र पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा था, तब उन्होंने ब्रिटेन से उपकरण लाए थे। बता दें कि इस जगह की जलवायु स्कॉटलैंड से मिलती जुलती है जो इसके बेहद खास बनाती है। यहां शराब की भठ्ठी अपने व्हिस्की और ताजा पीली भारतीय शराब के लिए प्रसिद्ध है।

कसौली का प्रमुख दर्शनीय स्थल क्राइस्ट चर्च 

क्राइस्ट चर्च मॉल रोड के साथ शहर के केंद्र में स्थित कसौली के पास का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इस चर्च का निर्माण 1853 में अंग्रेजों द्वारा दिया गया था और इससे अद्भुत नव-गॉथिक वास्तुकला की भव्यता के साथ बनाया गया था। अपनी ग्लास से बनी खिड़कियों की वजह से यह चर्च कसौली में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। जब पर्यटक इस चर्च में जाते हैं तो वो एक अलग ही शांति का अनुभव करते हैं। अगर आप कसौली की यात्रा के लिए जा रहे हैं, तो एक बार इस चर्च में जरुर जायें।

सनसेट प्वाइंट

सनसेट प्वाइंट कसौली का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जो सूर्यास्त के समय देवदार के परिदृश्य, घाटियों के दृश्यों का आनंद लेने के लिए एक लोकप्रिय शांत स्थान है। यह जगह पर प्रतिदिन भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। सूर्यास्त के समय ये जगह एक शानदार दृश्य दिखाती है, लेकिन अंधेरा या देर शाम होने से पहले इस क्षेत्र को छोड़ना बेहतर होता है क्योंकि रात के समय आपको यहाँ पर कई सुविधाएं नहीं मिल पाती। इस स्थान पर जाने के लिए एक पैदल यात्रा मार्ग भी है जो गिल्बर्ट ट्रेल के रूप में जाना जाता है।

अगर आप कसौली में किसी अच्छी जगह की तलाश में हैं तो कम से कम एक बार सनसेट प्वाइंट से आकर्षक नजारों को देखने जरुर जायें।

माल रोड- 

माल रोड कसौली की एक खास जगहों में से एक है। मॉल रोड वो जगह है जो इस शहर का मुख्य शॉपिंग बाजार है। इस क्षेत्र में बहुत सारी दुकानें, रेस्टोरेंट और प्रसिद्ध कसौली क्लब हैं, जो इसे खरीदारी करने और खाने के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं। हालांकि कसौली में अधिकांश क्षेत्र ऑफ-बीट हैं लेकिन आप शहर की इस रंगीन जगह की सैर करने के बाद कभी भूल नहीं पाएंगे। शाम के समय यह बाजार अपने जीवंत सर्वश्रेष्ठ स्तर पर होता है।

मंकी पॉइंट कसौली –

मंकी पॉइंट कसौली का सबसे ऊँचा स्थान और एक खास पर्यटन स्थल है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि यहां पर हनुमान जी ने भारतीय महाकाव्य रामायण में घायल लक्ष्मण के लिए औषधीय जड़ी बूटियों खोज करते समय अपना पैर रखा था। मंकी पॉइंट पूरी घाटी के सबसे आकर्षक दृश्य और हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों के मनमोहक दृश्यों को दिखाता है।

इस जगह की सबसे खास बात यह है कि पहाड़ी की चोटी एक पैर के आकार की है। आपको बता दें कि इस जगह पर प्रबंधन और संचालन भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाता है और यहां जाने के लिए आपको एक विशेष परमिट की जरूरत होगी। यहां पहाड़ी के ऊपर हनुमान जी को समर्पित एक छोटा सा मंदिर है जिसके आसपास आपको बहुत सारे बंदर देखने को मिलेंगे।

कृष्ण भवन मंदिर –

कृष्ण भवन मंदिर का निर्माण 1926 किया गया था जो एक अद्भुत वास्तुकला का अनुकरण है। यह मंदिर यूरोपीय और भारतीय शैली की वास्तुकला का मेल है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है की यह मंदिर एक चर्च की तरह निर्मित है और कसौली के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। हर साल पर्यटकों की भारी संख्या कृष्ण भवन मंदिर के दर्शन करने आते हैं।

श्री बाबा बालक नाथ मंदिर –

श्री बाबा बालक नाथ मंदिर कसौली के प्रमुख मंदिरों में से एक है भगवान शिव के प्रबल अनुयायी बाबा बालक नाथ को समर्पित है। यह मंदिर कसौली से 3 किमी दूर स्थित है जहाँ आप बस या टैक्सी की मदद से आसानी से पहुंच सकते हैं। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि कि अगर निःसंतान दंपति इस मंदिर में आकर प्रार्थना करते हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।

धार्मिक स्थल गुरुद्वारा श्री गुरु नानकजी कसौली – 

गुरुद्वारा श्री गुरु नानकजी एक गुरुद्वारा है जो कसौली का के महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र होने के साथ-साथ पसंदीदा पर्यटन स्थल भी है। इस जगह पर रोज भारी संख्या में लोग आते है इसके साथ रविवार को यहाँ एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। आपको बता दें कि इस गुरुद्वारे में आवास की सुविधा भी है।

गोरखा किला- 

गोरखा किला, गोरखा के साहस और वीरता का प्रतीक का एक प्रतीक है जिसे आपको अपने कसौली दौरे के दौरान जरुर देखने जाना चाहिए। इस किले का निर्माण 1900 ईस्वी में गोरखा सेना के प्रमुख अमर सिंह थापा द्वारा पाल युद्ध में ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ने के लिए करवाया गया था। यह किला अपने आसपास के जंगलों के साथ मिलकर आश्चर्यजनक दृश्य प्रदान करता है।

टिम्बर ट्रेल-

अगर आप कसौली में किसी शांत जगह की तलाश में है तो आपको बता दें कि यहां स्थित टिम्बर ट्रेल एक शांत सा हिल स्टेशन है। यह पर्यटन बहुत ही सुंदर पर्यटन स्थल है जहां के कई देवदार और शंकुधारी पेड़ इसके आकर्षण को बढ़ाते हैं। यह जगह उन लोगों के बहुत अच्छी है जो शहर की हलचल भरी जिंदगी के बीच शांति की तलाश कर रहे हैं।

कसौली पौराणिक काल में

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब राम की वानर सेना और लंका के राक्षसों के बीच युद्ध लड़ा रहा था, तब मेघनाथ ने लक्ष्मण जी को अपने बाण से मूर्छित कर दिया था, तब हनुमान जी उनके लिए संजीवनी बूटी लेने हिमालय गए थे और उस वक्त उन्होंने पूरा पर्वत ही उठा लिया था। इस दौरान उन्होंने एक पहाड़ी पर कुछ देर के लिए अपना दाया पांव भी टिकाया था, वो स्थान कसौली में ही है, जिसे मंकी प्वॉइंट के नाम से जाना जाता है। इस स्थान की पहाड़ी देखने पर पैर के पंजे की आकार की दिखाई देती है और यहां का एक मंदिर भी है। इस पहाड़ी पर बंदरों की टोलियां भी देखने को मिलती है, जो पर्यटकों के खाने-पीने के सामान छिनने के लिए भी जाने जाते हैं। इसीलिए इस स्थान पर खाद्य सामग्री ले जाना मना है।

स्थापना

कसौली की स्थापना 1842 ईस्वी में एक सैन्य स्टेशन के रूप में की गई थी। इसका मुख्य कारण था महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु (1839 ईस्वी)… उनकी मृत्यु के बाद अंग्रेजी हुकूमत पंजाब के साथ एक युद्ध करने की सोचने लगी, जिससे सैनिकों को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने यह स्थान चुना था। अधिकारिक तौर पर देखा जाए तो कसौली सोलन जिले का हिस्सा है, जो कभी शिमला पहाड़ी रियासत की तहसील क्षेत्र हुआ करती थी। सोलन जिले का गठन अधिकारिक तौर पर 1 सितम्बर 1972 ईस्वी को सोलन जिले का निर्माण किया गया, जिसमें कसौली एक शहर व छावनी नगर बनी। इसके पहले यह महासू जिले का एक भाग था। इस शहर पर कई रियासतों ने भी राज किया, हालांकि तब यह शिमला रियासत का हिस्सा थी।

कसौली का नाम कसौली कैसे पड़ा?
किवदंती के अनुसार, 17वीं शाताब्दी के आसपास रेवाड़ी (वर्तमान समय में हरियाणा) के कुछ राजपूत परिवार परेशानियों के चलते अपने घरों को छोड़कर हिमाचल के इलाकों में आकर बस गए, इस गांव का नाम कसुल था, जिसे बाद में धीरे-धीरे कसौली के नाम से पुकारा जाने लगा। इसके अलावा कहा जाता है कि यहां साल भर फूल खिलते हैं, जिसे कुसमावली या कुसमाली कहा जाता है, इससे ही कसौली का जन्म हुआ।

हिल स्टेशन कैसे बना कसौली ?

1841 ईस्वी का समय चल रहा था और ऊपर से अगस्त का महीना… इस बीच एक सुबह एक ब्रिटिश अधिकारी हेनरी लॉरेंस व उनकी पत्नी के लिए काली सुबह हुई, उनकी बच्ची का मलेरिया से निधन हो गया, जिसे कसौली में ही दफनाया गया। दम्पती का अपनी बच्ची के लिए काफी प्रेम था, जिसके मरने के बाद उस स्थान पर एक झोपड़ी बनाने का सोचा, जिसे वे देख अपनी बच्ची को याद कर सकें। इस झोपड़ी का नाम ‘सनीसाइड’ रखा गया। इसी उदासी के साथ कसौली एक हिल स्टेशन के रूप में विकसित हुआ। इस उदासी को आप आज भी यहां महसूस कर सकते हैं। करीब 5000 आबादी वाला यह एक छोटा सा शहर है, जो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। कसौली में रहने वाले पहले व्यक्ति भी हेनरी लॉरेंस ही थे, ये ब्रिटिश सेना के अधिकारी थे, जिन्होंने बाद में ब्रिटिश सेना के बच्चों के लिए यहां पर पर एक स्कूल बनाया था।

1857 का विद्रोह कसौली से ही हुआ था शुरू

भारतीय स्वतंत्रता लड़ाई में हिमाचल का भी योगदान कम नहीं है। विहंगम खूबसूरती वाला यह पहाड़ी राज्य वीर योद्धाओं व स्वंतत्रता सेनानियों की जन्मस्थली रही है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान कसौली में अंग्रेजों की छावनी थी, जहां से ही पहली हिमाचल में स्वंतत्रता की आग शुरू हुई, जिसमें कई सिपाहियों ने अपनी आहुतियां दी। 1857 ईस्वी, 20 अप्रैल को वो दिन जब 6 भारतीय नायकों ने अंग्रेजी हुकूमत के थाने को फूंक दिया। इसके बाद कईयों को फांसी पर चढ़ा दिया गया, जिससे हिमाचल में स्वतंत्रता की ये आग और तेजी से फैल गई। इस दौरान सिर्फ 45 भारतीय नायकों ने 200 अंग्रेजी सेना को पछाड़ दिया और धनकोष लूटकर जतोग के लिए कूच कर गए।

अग्रेजी हुकूमत का बनाया हुआ कानून आज भी चलता हैं कसौली में

कसौली ब्रिटिश काल से ही एक छावनी के रूप में जाना जाता है, जहां आज भी आम लोगों को परेशानियां से जुझना पड़ता है, जो अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए थे। यहां के लोगों को अपने ही घर जाने के लिए वाहनों का प्रवेश शुल्क देना पड़ता है और इसके अलावा इतने सालों से यहां रहने के बावजूद इनके पास आज भी इनके ही घर का मालिकाना हक नहीं है। ऊपर से पानी की भी काफी समस्या है, जिसकी जलापूर्ति कसौली छावनी बोर्ड द्वारा कि जाती हैं।

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