शिमला से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तारा देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। समुद्र तल से 6070 फीट की ऊँचाई पर स्थित इस मंदिर का इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है और यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके अद्भुत प्राकृतिक दृश्य भी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
तारा देवी मंदिर का इतिहास
तारा देवी मंदिर का इतिहास पश्चिम बंगाल के सेन वंश के राजा बलबीर सेन से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि देवी तारा ने राजा बलबीर सेन को स्वप्न में दर्शन दिए और मंदिर निर्माण का आदेश दिया। इस आदेश को मानकर राजा बलबीर सेन ने तारा पर्वत पर मंदिर की स्थापना की।
तारा देवी की अष्टधातु की मूर्ति
मंदिर में स्थापित तारा देवी की अष्टधातु की मूर्ति बहुत ही अद्वितीय और खास है। सेन वंश के राजा बलबीर सेन ने एक पंडित की सलाह पर तारा देवी की अष्टधातु की मूर्ति बनवाई और लकड़ी की मूर्ति की जगह इस प्रतिमा की स्थापना की। यह मूर्ति माता तारा की महिमा और शक्ति का प्रतीक है और हर वर्ष हजारों श्रद्धालु इस मूर्ति के दर्शन के लिए यहां आते हैं।
मंदिर की वास्तुकला
तारा देवी मंदिर की वास्तुकला बहुत ही आकर्षक और अद्भुत है। मंदिर की बनावट प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह और उसकी छत की नक्काशी और सजावट देखकर कोई भी प्रभावित हो सकता है। मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि यहां से चारों ओर के प्राकृतिक दृश्य स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
तारा पर्वत का महत्व
तारा देवी मंदिर तारा पर्वत पर स्थित है, जो शिमला-कालका रोड पर स्थित है। इस पर्वत से चारों ओर के मनोहारी दृश्य दिखाई देते हैं, जो यहां आने वाले हर श्रद्धालु और पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। तारा पर्वत की ऊँचाई और उसकी प्राकृतिक सुंदरता यहां आने वाले हर व्यक्ति को शांति और सुकून का अनुभव कराती है।
तारा देवी की पूजा और त्योहार
तारा देवी मंदिर में माता तारा की पूजा बहुत ही विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ की जाती है। विशेषकर नवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े स्तर पर पूजा और अनुष्ठान होते हैं। नवरात्रि के दिनों में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा हर मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
मंदिर तक पहुंचने के साधन
तारा देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं। शिमला से यहां तक पहुंचने के लिए आप टैक्सी, बस या प्राइवेट वाहन का उपयोग कर सकते हैं। शिमला रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है और यह सफर बहुत ही सुहावना और मनोहारी होता है। मंदिर तक पहुंचने का रास्ता भी बहुत ही सुंदर और हरा-भरा है, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आता है।
तारा देवी मंदिर के पास घूमने लायक स्थान
तारा देवी मंदिर के आसपास कई ऐसे स्थान हैं जहां आप घूम सकते हैं और प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।
शिमला
शिमला, तारा देवी मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है और यह हिल स्टेशन अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ब्रिटिश काल की वास्तुकला और पर्यटक आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप मॉल रोड, रिज, जाखू मंदिर, क्राइस्ट चर्च, और अन्य कई स्थानों का दौरा कर सकते हैं।
चायल
तारा देवी मंदिर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चायल एक और प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांतिपूर्ण वातावरण और चायल पैलेस के लिए प्रसिद्ध है। चायल में आप क्रिकेट ग्राउंड, काली का टिब्बा और सिद्घ बाबा मंदिर जैसी जगहों का दौरा कर सकते हैं।
कुफरी
कुफरी, तारा देवी मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह अपनी बर्फीली पहाड़ियों और एडवेंचर गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप स्कीइंग, टोबोगनिंग और अन्य स्नो एक्टिविटी का आनंद ले सकते हैं।
नालदेहरा
नालदेहरा, तारा देवी मंदिर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह अपने गोल्फ कोर्स और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप नालदेहरा गोल्फ कोर्स, शिव मंदिर और सुकेट फोर पार्क का दौरा कर सकते हैं।
तारा देवी मंदिर में रहने की व्यवस्था
तारा देवी मंदिर के पास और शिमला में कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं जहां आप ठहर सकते हैं। यहां आपको हर बजट के हिसाब से होटल मिल जाएंगे। इसके अलावा, मंदिर के प्रांगण में भी श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशालाएं उपलब्ध हैं जहां आप आराम से ठहर सकते हैं।
मंदिर का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से
तारा देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह स्थान सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और माता तारा की पूजा अर्चना करते हैं। यहां का वातावरण बहुत ही शांत और पवित्र है, जो हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक शांति और संतोष प्रदान करता है।
तारा देवी मंदिर शिमला की एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, मंदिर की अद्भुत वास्तुकला, माता तारा की अष्टधातु की मूर्ति और यहां का शांतिपूर्ण वातावरण हर श्रद्धालु और पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां आकर हर व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और प्रकृति के अद्भुत नजारों का आनंद मिलता है।