जुन्गा शिमला का ऐतिहासिक स्थल

इतिहास और पृष्ठभूमि:

जुन्गा, जो पहले क्योंथल रियासत की राजधानी था, को स्थानीय देवता “जुणगा” के नाम पर नामित किया गया। इसे क्योंथल नाम से ही जाना जाता था। यह क्षेत्र 19वीं शताब्दी से पहले स्थापित हुआ था। 1803 से 1814 तक जनरल अमर सिंह थापा के नेतृत्व में नेपाल द्वारा इस पर कब्ज़ा किए जाने तक, इस पर राणा रघुनाथ सेन का शासन था। कब्जे के बाद, संसार सेन ने 1814 से 24 जुलाई 1858 तक राणा के रूप में शासन किया, तब उन्होंने राजा की उपाधि धारण की।

सुविधाएँ और संपर्क:

जुन्गा बेहतर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश का मुख्य जिला मार्ग संख्या 13 जुन्गा से जुड़ने का सबसे बेहतर माध्यम है, जो इसे राजधानी शिमला से जोड़ता है और वर्तमान में यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने के लिए भी नामित किया गया है। यहाँ से सबसे नजदीक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-5 मैहली में 18 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से सबसे नजदीक रेलमार्ग शिमला और कंडाघाट है। हवाई मार्ग के लिए सबसे नजदीक विमानपत्तन जुब्बरहट्टी है।

मुख्य स्थान:

  • निदेशालय राज्य विज्ञान प्रयोगशाला, जुन्गा: यह हिमाचल प्रदेश राज्य की सबसे बड़ी विज्ञान प्रयोगशाला है जो जुन्गा-चायल मार्ग पर स्थित है। यहीं पर राज्य में हुई आपराधिक गतिविधियों की जांच भी की जाती है।
  • राजकीय आदर्श वरिष्ट माध्यमिक विद्यालय, जुन्गा: यह पाठशाला सन 1929 में तत्कालीन राजा जुन्गा क्योंथल रियासत के द्वारा एक संस्कृत पाठशाला के रूप में स्थापित की गई थी। इस विद्यालय में जिला शिमला का सबसे बड़ा स्कूल मैदान है।
  • डोमेश्वर देवता की यात्रा: डोमेश्वर देवता अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने के उद्देश्य से राजा जुन्गा के आदेशानुसार 20 वर्ष उपरांत भ्रमण पर निकलते हैं। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2019 से रियासत के भ्रमण पर निकले हैं और 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों के भ्रमण में करीब तीन वर्ष लग जाएंगे। उन्होंने जानकारी दी कि डोमेश्वर देवता का इतिहास क्योंथल रियासत के राजा से जुड़ा है। कालांतर में राजा जुन्गा ने गुठान के अहिचा ब्राह्मण की हत्या करने पर कुष्ठ हो गया था। राजा ने कुष्ठ निवारण और वंशावली के लिए काफी जप तप किया और कुल देवता जुन्गा की आराधना की, लेकिन जब कोई राहत नहीं मिली, तो राजा जुन्गा ने डोमेश्वर देवता को आमंत्रित किया। ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए डोम देवता ने राजा जुन्गा को कहा कि वह चायल के समीप भलावग में 84 हाथ लंबा तालाब बनाए और उसे अश्विनी खड्ड से पानी लाकर भरे। इसके अतिरिक्त 84 कन्याओं व 84 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और 84 गायों का दान करें, तभी वह ब्राह्मण हत्या से मुक्त होंगे। राजा ने भलावग नामक स्थान पर 84 हाथ लंबा तालाब तैयार करवाया और पूरी प्रजा द्वारा अश्विनी खड्ड से पानी लाकर भरा गया। डोमेश्वर देवता की कृपा से राजा जुन्गा हत्या से मुक्त हुए और उनके घर संतान भी हुई। उनके अनुसार, कालांतर में डोमेश्वर देवता क्योंथल रियासत के शासक की राजगद्दी समारोह और संतान होने पर विशेष तौर पर महल में अनिवार्य रूप से आते थे। उन्होंने बताया कि राजा जुन्गा द्वारा डोम देवता से आग्रह किया गया कि वह 20 वर्षों के बाद 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों का भ्रमण करके प्रजा को आशीर्वाद दें। वचनबद्ध डोमेश्वर देवता कालांतर से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।

आज की स्थिति और राजपरिवार का प्रभाव:

आज के दौर में, जहां इतने कोर्ट और विभिन्न प्रशासनिक व्यवस्थाएँ हैं, फिर भी क्योंथल रियासत के कई लोग जमीनी और निजी विवादों को सुलझाने के लिए राजपरिवार के पास पहुंचते हैं। राजा द्वारा दिए गए फैसले को अधिकतर लोग मान लेते हैं। कभी-कभी कुछेक ऐसे मामले भी होते हैं जो राजपरिवार के निर्णय के बावजूद कोर्ट में पहुंचते हैं। सुनाए गए फैसलों में से 70 प्रतिशत से अधिक मामलों में लोग आगे किसी भी कोर्ट में नहीं जाते हैं। क्योंथल रियासत के बारे में बताते हुए राजा वीर विक्रम सेन के छोटे भाई पृथ्वी सेन ने कहा कि उनकी रियासत की सेना और हथियारों के लिए काफी जानी जाती थी। उनकी रियासत में राजा को देवता के समान माना जाता है।

तारादेवी माता की मूर्ति की कहानी:

तारादेवी माता मंदिर में मूर्ति को लाने के लिए राजा ने शाही हाथी दिया था। शाही हाथी पर तारादेवी माता की मूर्ति को लाया गया था। इसके अलावा, क्योंथल रियासत के राजा अभी भी मंदिर न्यास के प्रमुख ट्रस्टी हैं और मंदिर में बदलाव या किसी प्रकार के अनुष्ठानों को करने के लिए राजा की अनुमति और उपस्थिति आवश्यक है।

दर्शनीय स्थान:

  • पुराना राजमहल: यह महल लगभग 200 वर्षों पुराना है और इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
  • प्राचीन तारा देवी मंदिर, भौंण: यह मंदिर शिमला के शोघी में स्थित है और माता तारा देवी का सबसे प्राचीन और मूल स्थान है।
  • भालू का पेड़: यह पेड़ पुराने राजमहल के पास जंगल में स्थित है, जहाँ पर एक पेड़ में असली आदमखोर भालू की आकृति आज भी बनी हुई है। इसे शाप देकर इस वृक्ष में चिपका दिया गया था।
  • नया राजमहल: यह महल मुख्य जुन्गा में स्थित है और वर्तमान में यह राजा का निवास स्थान है।

जुन्गा, अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के साथ, एक महत्वपूर्ण स्थल है जो इतिहास और परंपरा को जीवित रखे हुए है।

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